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Monday, 4 July 2011

"डॉ.जोगा सिंह के घर के सामने अनशन ???"


COMMENTS (from donkey)
"डॉ.जोगा सिंह के घर के सामने अनशन ???"
आज सुबह ०६.१० मिनट पर गर्धवराजों के  रेंकने की आवाजें सुनकर अचानक 
मेरी नींद खुल गयी .आँखें मसलते हुए बाहर निकल कर देखा तो तीन गधे घर 
के सामने खड़े थे .मुझे लगा कि ये मेरे खिलाफ ही नारेबाज़ी कर रहें हैं .
मुझे देखते ही वे तीनों और जोर से रेंकने लगे ,मेरी तो मानों नीद उडी ही नहीं 
रफूचक्कर हो गयी है.वे रूक-रूक कर डेन्चू-२ करके नारे लगा रहे थे समझ  में
 कुछ देर से आया कि हो-न-हो मै इनके बारें में ज़यादा ही अटपटे सवालों के
 जवाब देने लगा हूँ ,इसलिए इन्होने ये कदम उठाया है.भाषा की दिक्कत तो
 थी ही, फिर भी मैंने दोनों हाथ जोड़कर अपने शब्दों में उनसे माफ़ी मांगी
 कि मैं क्या करूँ ?लोग आपके बारे में बहुत सवाल पूछतेंहैं सो जवाब तो देना
 ही पड़ता है .शायद वे मेरी बात को समझ गए ओरफिर जोरदार आवाज़ में
 डेन्चू-२ करने लगे मैंने सोचा शायद ये मुझे माफ़ करने के मूड में नहीं हैं.
फिर भी २-३ बार कोशिश की,लेकिन उन्होंने अपना अनशन ज़ारी रखा 
.इतना हो-हल्ला सुनकर परिवार के लोग,व अड़ोसी- पडोसी भी बाहर आ गए .
लेकिन वे भी मुझ से ही पूछते रहे कि ये क्या हो रहा है?मेरी मदद करने में 
सभी असमर्थ लग रहे थे मेरी प्यारी इकलोती पत्नी भी उलाहने भरे स्वर में
 बोली-"और लिखो गधों के बारे में ,कितनी बार कहा है ऐरे-गैरे के मुंह न लगा
 करो ,लेकिन मेरी कभी सुनो तो मानो, इतने लोगों के सामने जलूस
 निकलवाकर कलेजे में ठण्ड पड़ गयी होगी,बुदबुदाती एक लाठी उठा लायी ,
ये लो भगायो  इनको यहाँ से"मैंने कहा-"कांता देवी जी घर आये मेहमान का
 स्वागत ऐसे नहीं करते ,ये मेरे लेखन के सबसे परमान्नेंट किरदार हैं ,
इनकी बात समझे बिना ......?????
सभी पडोसी मेरी खिल्ली उड़ा रहे थे  
अचानक एक गधा  बोला -"जोगा सिंह जी,महे आदमिया
 आली तिरियाँ कोई अनशन-वनशन करने खातिर कोणी आया ,महे तो थाने
 लखदाद देवां ताईं आया हाँ के थे म्हाने रेडियो  अर पंजाब केसरी अखबार रे 
माएं इत्तो मान दिरायो है ,लगया रेवो सा ,महे अब्बे चालां,
राम-राम सा डेन्चू-२ .....................

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